SC/ST एक्ट की विशेष न्यायाधीशकोर्ट ने दलित उत्पीड़न से जुड़े एक मामले में गवाही झूठी पाए जाने पर मारपीट व दलित एक्ट के आरोपियों को दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया। साथ ही वादी मुकदमा के खिलाफ अदालत में झूठी गवाही देने पर केस दर्ज करने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने सरकार की ओर से वादी मुकदमा को दी गयी अनुदान राशि की वसूली के लिए भी निर्णय की एक प्रति जिला मजिस्ट्रेट को भी भेजी है। यह आदेश विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट राकेश कुमार की अदालत ने किया।
SC/ST एक्ट के विशेष लोक अभियोजक नरसिंह नारायण उपाध्याय व लालमणि तिवारी ने बताया कि दिसंबर 2014 की रात इनायत नगर थाना क्षेत्र के कहुआ गांव निवासी परशुराम की भैंस खूंटा तोड़कर गांव के रामकिशोर के दरवाजे पर लगी क्यारी में चली गई थी। आरोप है कि विरोधी पक्ष की तरफ से सत्य प्रकाश, बृजेश, जयप्रकाश, सुभाष व हरिश्चंद्र ने इस पर परशुराम को जाति सूचक गालियां देने के साथ ही उसे लाठी डंडे से पीटा।
तहरीर के आधार पर पुलिस ने मारपीट तथा दलित उत्पीड़न अधिनियम में केस दर्ज कर दोषियों पर कार्रवाई तय की। लेकिन अदालत में सुनवाई के दौरान वादी मुकदमा ने झूठी गवाही दे डाली। कहा कि चोट मारने पीटने से नहीं बल्कि भैंस के रस्सी में फंस जाने के कारण आई हैं। इससे कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोष मुक्त कर दिया लेकिन वादी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
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