images 1 2 - भाई को आईएएस बता अधिकारियों पर रौब झाड़ता था फर्जी डॉक्टर।

भाई को आईएएस बता अधिकारियों पर रौब झाड़ता था फर्जी डॉक्टर।

अयोध्या उत्तर प्रदेश
भाई को आईएएस बता अधिकारियों पर रौब झाड़ता था फर्जी डॉक्टर।

images 1 2 - भाई को आईएएस बता अधिकारियों पर रौब झाड़ता था फर्जी डॉक्टर।

अयोध्या।

अयोध्या जिला अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में तैनात फर्जी डॉक्टर खुद को आईएएस का भाई बताकर अधिकारियों पर भी रौब झाड़ता था। पखवारे भर पहले ओपीडी में बाहरी व्यक्ति को बैठाने का विरोध करने पर वह अस्पताल के अधीक्षक से भी भिड़ गया था। उधर, शासन के निर्देश पर अपर निदेशक ने फर्जी डॉक्टर के संबंध में आख्या भेज दी है।

जिला अस्पताल में लगभग पांच माह से फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट बनकर मरीज का इलाज कर रहे डॉ. विनोद कुमार सिंह की डिग्रियां फर्जी मिलने के बाद सेवाकाल के दौरान उससे जुड़ी अन्य घटनाएं चर्चा का विषय बनी हैं। अस्पताल के डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी से लेकर कर्मचारी तक की जुबान पर इस समय एक ही नाम गूंज रहा है। कर्मचारियों ने बताया कि वह हमेशा सूट-बूट में लग्जरी गाड़ियों से आता था। अपने भाई को आईएएस, पिता को सेवानिवृत न्यायाधीश और अपने एक रिश्तेदार को एनआईए में बताकर रौब झाड़ता था। जिले के एक भाजपा नेता से भी वह एक माह पहले भिड़ गया था। उनसे स्वयं को राजस्थान के एक बड़े रियासतदारों परिवार से होने का दावा कर रहा था। 15 दिन पहले जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विपिन वर्मा ने जब उसे बाहरी व्यक्ति को ओपीडी में बैठाने को लेकर सवाल किया तो वह उनसे भी भिड़ गया और उनकी पिटाई की धमकी दे दी।

इसके बाद समय-समय पर इमरजेंसी ड्यूटी, वाडों में राउंड लेने, कॉल डे आदि के लिए आए दिन विवाद करता था। उसके ऊंचे रसूख के होने के झांसे में आकर लोग उससे उलझने से बचते थे। उधर, फर्जी डॉक्टर के नियुक्ति पत्र, उसके कागजात, डिग्रियां आदि का ब्यौरा जुटाकर स्वास्थ्य विभागने शासन को आख्या भेज दी है। आशंका जताई जा रही है कि उसने फर्जी नियुक्ति पत्र भी हेराफेरी करके जारी कराया था।

सूत्रों के अनुसार डॉ. विनोद कुमार सिंह ने लखनऊ के रानी लक्ष्मीबाई हॉस्पिटल में भी दो साल तक सेवाएं दी हैं। उस समय उनके साथ तैनात रहे, एक सर्जन ने इसका खुलासा किया है। सेवा के दौरान वह शीघ्र ही अयोध्या में अपने तैनाती के दावे भी कर रहा था।

अस्पताल में तैनाती के समय दिए गए कागजातों में डॉ. विनोद कुमार सिंह ने केजीएमयू से जारी बताकर एमडी मेडिसिन की डिग्री दी थी। जबकि ओपीडी पर्चे पर मरीजों का इलाज करते समय वह एमडी मेडिसिन की डिग्री दिल्ली एम्स से जारी होने की मुहर लगाता था। साथ ही डीएम कार्डियोलॉजिस्ट भी लिखता था, लेकिन इसकी डिग्री उसने अस्पताल में नहीं दी थी।

2500 रुपये की दवाएं बाहर से मंगवाई थीं, डॉक्टर को खोज रहा तीमारदार।

मिल्कीपुर के बारुन बाजार के भीम का पुरवा निवासी दुर्गा प्रसाद मिश्रा शुक्रवार को डॉ. विनोद कुमार सिंह को खोज रहे थे। उन्होंने बताया कि अपनी पत्नी इंद्रावती के हाथ में दर्द होने व हाथ न उठने पर वह जिला अस्पताल आए थे, जिन्हें डॉक्टर ने 2500 की दवा बाहर से लिखी थी, लेकिन आराम नहीं हुआ। बताया कि अब पता चल रहा है कि वह डॉक्टर ही फर्जी था। डर है कि कहीं गलत दवा तो नहीं खिला दी। इसी तरह कई अन्य मरीज भी डॉक्टर को खोजते रहे।

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