सहायक प्राध्यापक के निलंबन पर उच्च न्यायालय ने लगाई रोक

सहायक प्राध्यापक के निलंबन पर उच्च न्यायालय ने लगाई रोक

कुलपति के निलंबन आदेश को न्यायालय ने माना अनाधिकार चेष्टा

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में कार्यरत दो शिक्षकों के बीच हुई हाथापाई के बाद एक तरफा कार्यवाही करते हुए सहायक प्राध्यापक डॉ रमेश प्रताप सिंह को निलंबित किए जाने के मामले में आखिरकार उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ ने निलंबन आदेश सहित कुलपति द्वारा उनके विरुद्ध गठित की गई जांच कमेटी की कार्यवाही पर स्थगन आदेश पारित कर दिया है।
उच्च न्यायालय ने कार्यालय अवधि समाप्त होने के उपरांत बैंक भवन में 2 शिक्षकों के बीच हाथापाई के मामले में कुलपति का हस्तक्षेप अवैध माना है। वहीं दूसरी तरफ उच्च न्यायालय द्वारा सहायक प्राध्यापक के निलंबन आदेश को स्थगित किए जाने की जानकारी के बाद विश्वविद्यालय कर्मचारियों में खुशी का माहौल छा गया है। विश्वविद्यालय कर्मियों ने खुशी में मिठाइयां बांटी और गोले भी दागे।
बताते चलें कि बीते 16 जून की देर शाम कार्यालय बंद होने के उपरांत विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ डी नियोगी एवं सहायक प्राध्यापक डॉ रमेश प्रताप सिंह के बीच भारतीय स्टेट बैंक ब्रांच पिठला के शाखा प्रबंधक कक्ष में सहायक प्राध्यापक डॉ रमेश प्रताप सिंह के विरुद्ध प्रचलित दूसरी जांच को लेकर कहासुनी हो रही थी कि देखते ही देखते दोनों लोगों में हाथापाई हो गई थी। दोनों शिक्षकों ने परस्पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए मुकदमा कायम किए जाने के संबंध में कुमारगंज पुलिस को तहरीर भी दे दिया था। मामले में कुमारगंज पुलिस ने दोनों पक्षों की तहरीर पर क्रास में मुकदमा दर्ज कर लिया था।
उधर विश्वविद्यालय के कुलपति ने घटना के तुरंत बाद विश्वविद्यालय के कुछ लोगों के साथ बैठक कर एक तरफा कार्यवाही करते हुए हाथापाई में शामिल सहायक प्राध्यापक डॉ रमेश प्रताप सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित किए जाने एवं उन्हें आजमगढ़ महाविद्यालय कोटवा से संबद्ध किए जाने का आदेश दे दिया था। यही नहीं कुलपति ने प्रकरण में एक जांच कमेटी भी गठित कर दी थी। जांच कमेटी द्वारा आनन-फानन में निलंबित सहायक प्राध्यापक को आरोप पत्र भी जारी कर दिया गया था। कुलपति की एक तरफा कार्यवाही से आहत निलंबित सहायक प्राध्यापक ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। जहां उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पंकज भाटिया ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विभु भूषण कालिया एवं वरिष्ठ अधिवक्ता एस के कालिया की दलीलों के सुनने के उपरांत कुलपति द्वारा की गई निलंबन कार्यवाही को पूरी तरह से अवैध माना और कहा कि सहायक प्राध्यापक का नियुक्ति प्राधिकारी प्रबंध परिषद होता है न्यायालय ने घटना को भारतीय स्टेट बैंक शाखा भवन के अंदर कारित होने के चलते विश्वविद्यालय के कुलपति के क्षेत्राधिकार से पृथक माना है। उच्च न्यायालय ने मामले में कुलपति द्वारा गठित की गई जांच कमेटी एवं निलंबन कार्यवाही को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है इसके साथ ही 3 सप्ताह के अंदर विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाब भी मांग लिया है।
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