अयोध्या प्रतिष्ठित विद्वान साहित्यकार डाॅ. रामानंद शुक्ल विरचित श्रीरामलला स्तुति पुस्तक पर कौसलेश सदन में परिचर्चा हुई। अध्यक्षता जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर महाराज जी ने की। गोष्ठी में काशी के भी तीन विद्वान सम्मिलित रहे। जगद्गुरु ने कहा कि डाॅ.रामानन्द शुक्ल की कारयित्रि और भावयित्रि प्रज्ञा से निष्पन्न यह प्राञ्जल काव्यस्तवक में श्रीरामलला, सरयू और जानकी जी की सुन्दर आरती भी भक्त जनमानस के लिए बहुत उपयोगी है।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय संस्कृत विद्या धर्मविज्ञान संकायान्तर्गत व्याकरण विभाग के पूर्व प्रोफेसर डाॅ.भगवतशरण शुक्ल ने विमर्श प्रस्तुत किया। वेद विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पतंजलि मिश्र ने ग्रन्थ के काव्यगत सौन्दर्य व पदलालित्य पर प्रकाश डाला। स्थानीय साकेत महाविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डाॅ.जनार्दन उपाध्याय के शब्दों में यह उपासनापरक ग्रंथ सश्रद्ध साधकों को समर्पित है। इसके प्रणेता प्रगल्भ साहित्यकार धर्मज्ञ लेखक-कवि डा. रामानन्द शुक्ल ने इसे सात चरणों में विभाजित किया है। ग्रंथ पूरी गौरवानुभूति के साथ मनीषी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को समर्पित है। श्रीत्रिदंडदेव संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डाॅ. कृष्णकुमार पाण्डेय ने कहा कि भले ही यह कृति लघुकाय है, लेकिन गागर में सागर है। वाङ्मय-विमर्श में ग्वालियर संस्कृत महाविद्यालय के प्राध्यापक रामचंद्र द्विवेदी ने चर्चा में सहभागिता करते हुए कृति को महनीय और पूजनीय बताया।
रचनाकार डाॅ. रामानन्द शुक्ल ने वरेण्य विद्वानों के प्रति सादर सम्मानपूर्वक प्रणम्याभार अभिव्यक्त किया और जगद्गुरु ने विद्वानों का बहुमान किया।
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