फिल्मी रामलीला में तीन सांसद भी विभिन्न भूमिकाओं में दिखेंगे। गोरखपुर के सांसद रवि किशन केवट, सांसद मनोज तिवारी परशुराम और आजमगढ़ सांसद निरहुआ लक्ष्मण का किरदार निभाने अयोध्या आ रहे हैं।
रामलीला के निदेशक सुभाष मलिक ने बताया कि रामलीना में रजा मुराद, बिंदु दारा सिंह, शाहबाज खान, मनोज शर्मा, दीक्षा रैना, राहुल बूचर, गजेंद्र चौहान, राकेश बेदी सहित करीब 30 कलाकार विभिन्न भूमिकाओं में दिखेंगे।
बताया कि पिछले साल ऑनलाइन प्लेटफार्म पर विश्व भर में करीब 22 करोड़ ने रामलीला देखी थी। सुभाष मलिक बताते हैं कि फिल्मी रामलीला की सफलता में न सिर्फ फिल्म अभिनेता बल्कि फिल्मी दुनिया से जुड़े अन्य लोगों का अहम योगदान है।
पूरे कार्यक्रम को भव्यता प्रदान करने में करीब 300 लोग जुटे हैं। रामलीला के लिए 1600 फीट का सेट बनाया गया है। रामलीला की थ्रीडी तकनीक आकर्षण बढ़ाती है।
रामलीला के मंच पर एलईडी स्क्रीन है, उस पर रामायण काल के बैकग्राउंड को थ्रीडी पर प्रस्तुत किया जा रहा है। रामलीला के सेट को दिल्ली के करीब 30 कलाकारों ने बनाया है। बताया कि ये कलाकार फिल्मी दुनिया से जुड़े हैं और सेट बनाने के विशेषज्ञ हैं।
फिल्मी दुनिया से जुड़ी मेकअप आर्टिस्ट लीजा सभी फिल्मी कलाकारों का मेकअप करती हैं। लीजा मुंबई की हैं और कई बड़ी फिल्मों में मेकअप आर्टिस्ट रह चुकी हैं।
रावण की भूमिका निभा रहे अभिनेता शहबाज खान ने कहा कि अयोध्या की धरती ने हमेशा से ही शांति व सौहार्द का पैगाम दिया है। रामलीला के माध्यम से हम कलाकार भी पूरे देश को यही संदेश देना चाहते हैं।
रामलीला में रावण का किरदार निभा रहा हूं, रावण के किरदार को जीवंत करना कठिन परिश्रम जैसा है, फिर भी शत-प्रतिशत देने का प्रयास करूंगा। कहा कि रावण के बिना रामकथा अधूरी कही जा सकती है।
महाभारत में शकुनि की भूमिका निभाने वाले अभिनेता गुफी पेंटल भी अयोध्या की रामलीला में नारद की भूमिका में है। वे कहते हैं कि भले ही उन्होंने महाभारत में पात्र किया था लेकिन रामलीला में वे बचपन से जुड़े रहे।
कहा कि वे बार्डर पर होने वाली रामलीला में भी विभिन्न किरदार निभाते थे। कहा कि अयोध्या पवित्र नगरी है, यहां का संदेश पूरे विश्व तक जाता है। अपने किरदार को जीवंत करने की कोशिश है।
महाभारत सीरियल में धृतराष्ट्र का किरदान निभाने वाले अभिनेता गिरिजा शंकर रामलीला में महाराजा दशरथ की भूमिका निभा रहे हैं। कहा कि अयोध्या आकर मन अविभूत है, यहां की धार्मिकता प्रभावित करती है।
कहा कि आज की युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति व सभ्यता से कोसों दूर होती जा रही है। ऐसे में रामकथा युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़े रहने के लिए प्रेरित करती है। रामकथा की प्रासंगिकता हर युग में रहेगी
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