अयोध्या उत्तर प्रदेश

महोत्सव में सांस्कृतिक संध्या ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध।

प्रथम मणि महोत्सव में सांस्कृतिक संध्या ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध।

अयोध्या।

अयोध्या लोक परम्परा, आस्था व भारतीय संस्कृति के विभिन्न रंगों का संगम मणि पर्वत मेला स्थल पर आयोजित प्रथम मणि महोत्सव में दिखाई दिया। महोत्सव के दौरान सांस्कृतिक संध्या ने दर्शकों में आध्यामिक उर्जा का संचार कर दिया। आयोजन का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय तथा अयोध्या नगर निगम के महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी, महंत उमेश दास, पूर्व प्राचार्य अजय मोहन श्रीवास्तव तथा कौशलानंद वर्धन मिश्र के सानिध्य में राम दरबार के सामने दीप प्रज्वलन श्री वेदांत विद्यापीठ संस्कृत के छात्रों द्वारा स्वस्तिवाचन के बीच किया गया। कार्यक्रम का संयोजन श्री निवास शास्त्री तथा संचालन क्षिप्रा श्रीवास्तव द्वारा किया गया।

अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह ने कहा कि अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को वैश्विक मानकों के अनुसार सुविधाएं देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।

अयोध्या के महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने कहा कि मर्यादा व अनुशासन को अपने भीतर समाहित किये हुए श्रीरामनगरी अयोध्या की संस्कृति वैश्विक स्तर पर शोध का विषय है। दीपोत्सव के माध्यम से सरकार ने सम्पूर्ण विश्व में इसी सांस्कृतिक महत्व को परिभाषित किया। सकारात्मक उर्जा का संवाहक बनने के साथ आध्यात्म की रश्मि को सम्पूर्ण नगर निगम क्षेत्र में बिखेरने के उद्देश्यों पर कार्य किया जा रहा है। जिसको लेकर अयोध्या त्रेता युगकालीन परिवेश का दर्शन आने वाले दिनों में करायेगी। 

कार्यक्रम संयोजक श्री निवास शास्त्री ने बताया कि मणिपर्वत महोत्सव के दो चरण के कार्यक्रम के प्रथम चरण प्रवचन के सत्र के प्रथम वक्ता आचार्य रत्नेश ने कहा कि धार्मिक पुस्तक रुद्रमाल में अयोध्या के मणि पर्वत तीर्थ का वर्णन मिलता है। जिसमें कहा गया है की माता जानकी को दहेज के रूप में विशाल मात्रा में मानिक आभूषण प्राप्त हुए थे। उन्हें जिस स्थल पर रखा गया वहां माणियो का एक पहाड़ निर्मित हो गया, जिससे मणि पर्वत की स्थापना हुई। द्वितीय वक्ता के रूप में जगतगुरु राम दिनेशाचार्य ने कहा कि श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि पर अयोध्या में मणि पर्वत पर मेले का आयोजन सदियों से होता आया है इस आयोजन में प्रमुख मठ मंदिरों के विग्रह भगवान पालकी में बैठकर यहां पर झूला झूलते हैं जिससे आधिकारिक रूप से अयोध्या में झूलन उत्सव की शुरुआत होती है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरितालिका तीज पूरे देश में बड़े ही सौहार्दपूर्ण वातावरण में मनाया जाता है।

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