छात्रा के अपहरण के मामले में युवक को 12 साल बेगुनाह होते हुए भी जेल में काटने पड़े। दरअसल, आरोप लगाने वाली छात्रा कोर्ट में गवाही देने से मुकर गई। इसके बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के न्यायाधीश अंकुर शर्मा ने साक्ष्य के अभाव में युवक को जेल से रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने झूठी गवाही देने पर छात्रा के खिलाफ केस दर्ज करने का भी आदेश दिया है।
मामला अमेठी के पीपरपुर थानाक्षेत्र का है।अधिवक्ता वीर विक्रम सिंह के मुताबिक, पीपरपुर के एक गांव की इंटरमीडिएट की छात्रा 27 जनवरी, 2011 को स्कूल गई थी। वापस नहीं लौटने पर छात्रा के पिता ने गांव के ही रंजीत यादव उर्फ मल्हू के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कराया था। मिलने के बाद छात्रा ने युवक के खिलाफ गवाही दी थी और उसके बाद मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज बयान में भी उसके खिलाफ बयान दर्ज कराया था। मुकदमे के दौरान छात्रा गवाही देने से मुकर गई थी। इस दौरान युवक को करीब 12 साल जेल में रहना पड़ा। अब कोर्ट ने उसे साक्ष्य के अभाव में बरी करते हुए रिहा करने का आदेश दिया है। अदालत ने झूठी गवाही देने के आरोप में छात्रा के खिलाफ केस (प्रकीर्ण वाद) दर्ज करने का भी आदेश दिया है। हालांकि इस बीच करीब 40 वर्षीय रंजीत यादव ने अपने जीवन के 12 कीमती वर्ष जेल में गंवा दिए।
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