316830733 874147516924311 6506095628218393817 n - गुरु तेगबहादुर का मनाया गया 347 वां बलिदान दिवस

गुरु तेगबहादुर का मनाया गया 347 वां बलिदान दिवस

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गुरु तेगबहादुर का मनाया गया 347 वां बलिदान दिवस|

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अयोध्या|

ऐतिहासिक गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड में नवम गुरु तेगबहादुर का 347वां बलिदान दिवस श्रद्धा के साथ मनाया गया। गुरुद्वारे के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी गुरुजीत सिंह व महंत बलजीत के संयोजन में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हुए। इस अवसर पर गुरु ग्रंथ साहब का अखंड पाठ हुआ तो रागी जत्थों ने गुरु तेगबहादुर को लयबद्ध शबद कीर्तन से नमन किया।
महंत बलजीत सिंह ने बताया कि गुरु तेगबहादुर महाराज का बलिदान अविस्मरणीय रहेगा। उन्होंने बताया कि विक्रम संवत 1725 में असोम से पंजाब जाते समय गुरू तेग बहादुर अयोध्या के ब्रह्मकुंड गुरुद्वारे में ठहरे थे व दो दिन तक यहां लगातार तप किया था। उनकी चरण पादुका स्मृति स्वरूप आज भी गुरुद्वारे में है।
कहा कि गुरु के बलिदान के मूल में यह चेतना थी कि इस जीवन के अलावा एक महाजीवन भी है जो मृत्यु के बाद भी प्रवाहमान रहता है। उनके जीवन से त्याग, समर्पण व परहित की सीख लेनी चाहिए। पंजाब से आए हरविंदर सिंह सुहाने ने कहा कि कोई भी तीर्थस्थल इसलिए पूज्य होता है क्योंकि वहां सद्पुरुषों के चरण पड़े थे। यहां किसी को वैराग्य तो किसी को ज्ञान व भक्ति मिलती है।

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