केंद्र सरकार एक बार फिर से तीन तलाक अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश पर फैसला लिया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में पीएम आवास पर हुई बैठक में इसे मंजूरी दी गई. यह अध्यादेश दूसरी बार लाया गया है. इससे जुड़ा बिल राज्य सभा में पेंडिंग है, लेकिन अब संसद सत्र लोकसभा चुनावों के बाद ही होगा. ऐसे में सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया।
तीन तलाक अध्यादेश में मुस्लिम महिलाओं को एक साथ तीन बार तलाक कहकर यानी तलाक एक बिद्दत के जरिए शादी तोड़ने की मनाही है. ऐसा करने वालों को सजा का प्रावधान किया गया है।
अध्यादेश के तहत एक बार में तीन तलाक देना गैरकानूनी और अमान्य होगा और ऐसा करने वाले को तीन साल तक की सजा हो सकती है. यह अपराध तब संज्ञेय होगा, जब विवाहित मुस्लिम महिला या फिर उसका करीबी रिश्तेदार उस व्यक्ति के खिलाफ सूचना देगा, जिसने तत्काल तीन तलाक दिया है।
बता दें 13 फरवरी को मोदी सरकार के लिए राज्यसभा का आखिरी सत्र समाप्त हो गया था. जिसके साथ ही लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र महत्वपूर्ण माना जा रहा ट्रिपल तलाक बिल भी रद्द हो गया था।
बता दें पिछले साल दिसंबर में तीन तलाक बिल (2018) को लोकसभा ने पारित कर दिया था. इस बिल को लेकर सदन में लंबी बहस हुई थी. विपक्ष की मांग है कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2018 को सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाए।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने भी तीन तलाक से संबंधित विधेयक के महिला विरोधी होने का आरोप लगाया है।
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