अयोध्या महापौर गिरीशपति बोले, भारतीय ज्ञान परंपरा हजारों वर्ष पुरानी।
अयोध्या।
अयोध्या डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रबंध एवं उद्यमिता विभाग में पीएम उषा के साफ्ट कंपोनेण्ट योजनान्तर्गत मंगलवार को ‘रिलिवेंस आफ इंडियन नालेज सिस्टम इन बिजनेस‘ विषय पर साप्ताहिक कार्यशाला आरंभ हुई।
मुख्य अतिथि महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी व नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास ने मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला की शुरुआत की। महापौर ने कहाकि प्रारंभिक ज्ञान अनुभूति से आता है। ऋषियों-मुनियों ने वेद, उपनिषद और पुराणों में भारतीय ज्ञान को संरक्षित-संयोजित किया। भारतीय ज्ञान परंपरा हजारों वर्ष पुरानी है, जिसमें ऋषियों-मुनियों ने अपनी तपस्या से इस ज्ञान को संयोजित किया। उन्होंने कहाकि किसी समय अयोध्या प्रमुख व्यापारिक केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित थी, लेकिन नवाबकाल में जब अवध की राजधानी अयोध्या से लखनऊ बनी तब से अयोध्या का दुर्भाग्य आरंभ हुआ। सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से अयोध्या को क्षति झेलनी पड़ी। मोदी-योगी के समय में अयोध्या का गौरव गौरव पुनर्प्रतिष्ठित हुआ। अब अयोध्या अवसरों से भरी है।
विशिष्ट अतिथि महंत रामदास ने कहाकि सबसे बड़े शोधार्थी हनुमानजी थे। अपने ज्ञान से वह बचपन में ही सूर्य तक पहुंच गए, जबकि वर्तमान समय में अंतरिक्ष एजेंसियां मुश्किल से चांद पर पहुंच पाती है। इससे पहले विभागाध्यक्ष प्रो. हिमांशु शेखर सिंह ने विषय प्रवर्तन किया। प्रो. शैलेंद्र वर्मा ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। मुख्य नियंता प्रो. एसएस मिश्रा, डाॅ राना रोहित सिंह, डाॅ गीतिका श्रीवास्तव डॉ . महेंद्र पाल, डाॅ रविंद्र भारद्वाज आदि मौजूद रहे।